Recent Bihar Special: एक बार फिर जहरीली शराब का कहर बिहार के छपरा में 11 लोगों पर मौत बनकर टूटा है और साथ ही इस जहरीली शराब से 30 से अधिक लोगों के आंखों की रोशनी भी पूरी तरह से चली गई है। आंखों की रोशनी जाने वालों में कुछ लोग ऐसे भी मौजूद है जिनकी रोशनी थोड़ी बहुत बची है। जहरीली शराब पर डॉ. धर्मेंद्र कुमार का कहना है कि वैसे लोग जिनकी आंखों की रोशनी के जाने का कारण जहरीली शराब है, उनकी रोशनी कभी दोबारा से वापस नहीं आ सकती लेकिन उनकी आँखों की रोशनी को चिकित्सकों की मदद और बेहतरीन इलाज से थोड़ी साफ की जा सकती है।
चिकित्सक डॉ. धर्मेंद्र कुमार जहरीली शराब के बारे में बताते है कि इस तरह की शराब में 90% से अधिक मात्रा मिथाइल अल्कोहल यानी कि मेथेनॉल की होती है। मेथेनॉल की अत्यधिक मात्रा हमारे शरीर के नर्वस सिस्टम को ब्रेक डाउन करता है और इसका असर सबसे पहले हमारी आंखों पर नजर आता है और आंखों की रोशनी धीरे धीरे कमजोर होने लगती है, साथ ही कई ऐसे मामले भी होते है जिनमें आंखों की रोशनी पूरी तरह से चली जाती है।
मेथेनॉल आंखों के साथ शरीर के कई और अंग भी खराब करता है। डॉ. धर्मेंद्र बताते हैं कि मेथेनॉल के अधिक मात्रा में सेवन करने से आंखों के बाद लीवर फेल्योर, किडनी फेल्योर, हार्ट ब्लॉकेज, लंग्स फेल्योर जैसी समस्याएं शुरू हो जाती हैं।
हमारे आस पास कई ऐसे लोग मौजूद है जिनकी जहरीली शराब से आंखे खराब हो गयी है पर इसके बावजूद वे सभी घर में छुप कर बैठे हुए हैं, जबकि ऐसे लोगों को बिना देरी किये चिकित्सक के पास जाना चाहिए ताकि चिकित्सक तुरंत उस बीमारी का इलाज शुरू कर सके ।
डॉ. धर्मेंद्र कुमार ने आगे बताते हुए कहा कि वैसे लोग जिनकी आँखों की रोशनी जहरीली शराब पीने की वजह से गयी है उनकी रोशनिय कभी वापस नहीं आ सकती। लेकिन चिकित्सकों की मदद और बेहतरीन इलाज से वैसे लोगों की रोशनी थोड़ी साफ की जा सकती है। उन्होंने कहा कि वह लोगों से अपील करेंगे कि यदि गलत शराब पी है तो पुलिस के डर से अस्पताल नहीं जाने से उनके लिये खतरा है और साथ ही बिहार एक ड्राई स्टेट है, ऐसे में बिहार के लोगों को शराब का सेवन नहीं करना चाहिए।