BHAGALPUR: पीरपैंती प्रखण्ड क्षेत्र के जगदीशपुर में विगत नौ दिनों से चल रहे नौ कुंडीय शक्ति महायज्ञ का पूर्णाहुति के साथ समापन हो गया।विगत नौ दिनों तक वाराणसी के विद्वान आचार्य हरेन्द्र शास्त्री व अन्य ब्राह्म्णों के मंत्रोच्चारण के साथ माहौल भक्तिमय बना रहा।वहीं पूर्णाहुति उपरान्त भव्य भंडारा का आयोजन किया गया।जिसमें हजारों की संख्या में भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया।
यज्ञ के अंतिम दिन भक्ति में भाव विभोर अधिसंख्य श्रद्धालुओं ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच अग्निकुण्ड में आहुति दिया।वहीं शुक्रवार को अन्य दिनों की अपेक्षा श्रद्धालुओं की भारी भीड़ यज्ञमंडप की परिक्रमा करने व मेले का आनंद लेते देखी गई। वहीं अपने संरक्षण में 143 वां यज्ञ करा रहे यज्ञाधीस बाल संत त्यागी जी महाराज इंटरनेशनल भिखारी ने बताया की भजन, पूजन, हवन और भोजन यह यज्ञ के चार चरण है। इन्हीं चार चरणों से ही धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।यज्ञ में हवन करने से धुआं निकलता है,वही धुआं से बादल और बादल से बारिश हाेती है। तभी अन्न की उपज होती है।
वहीं उन्होंने कहा कि यज्ञ रूपी कर्म ही जीवन को बंधन से मुक्त कराता है। परमार्थ की बेदी पर स्वार्थ की आहुति दी जाती है।आज के अधिकांश युवा धर्म से विमुख होकर संस्कार के अभाव में भटक रहे है।उन्हें सही मार्ग पर लाकर हीं नए भारत की कल्पना की जा सकती है।इस दौरान यज्ञाचार्य हरेन्द्र शास्त्री,श्रीरामकथा वाचक अजय पाण्डेय,दीवान बाबा,नारायण शांडिल्य, यजमान संजय राय,समीर राय,राजकुमार राय,
शिवनंदन पाण्डेय,निर्मल पाण्डेय,मुरली पाण्डेय,विजय मिश्रा,सुमन मिश्र,पप्पू पाण्डेय,अरबिंद पाण्डेय,संदीप पाण्डेय,राजेंद्र पाण्डेय सहित अन्य लोग उपस्थित थे।