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Ram Mandir Ayodhya: अयोध्या राम मंदिर को अब तक कितना दान मिला, भारत में सबसे अधिक चंदा किसने दिया?

Ram Mandir Ayodhya: अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर बनकर तैयार है. 22 जनवरी को अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा होने वाली है. भगवान राम के भव्य मंदिर के लिए देश-विदेश श्री राम भक्तों ने दिल खोलकर दान किया है. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की मानें तो अयोध्या में राम मंदिर के लिए अब तक 5500 करोड़ से अधिक का दान मिल चुका है और अब भी राम भक्त अभी भी लगातार दान दे रहे हैं. देश की बात की जाए तो राम मंदिर के लिए दान देने वालों में सबसे ऊपर नाम आता है मशहूर कथावाचक और अध्यात्मिक गुरु मोरारी बापू का है. इन्होंने 11.3 करोड़ रुपये का दान राम मंदिर को दिया है.

पहला विदेशी चंदा
विदेशी चंदा की बात की जाए तो अयोध्या स्थित राम मंदिर के लिए सबसे पहला विदेशी चंदा अमेरिका से आया था. अमेरिका में बैठे एक राम भक्त ने पहले दान के रूप में 11 हजार रुपये मंदिर ट्रस्ट को भेजे थे. हालांकि, राम मंदिर ट्रस्ट ने उस दानकर्ता का नाम जाहिर नहीं किया है.

मोरारी बापू ने दिया इतना दान
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार बताया जा रहा है कि राम मंदिर के अब सबसे अधिक दान अध्यात्मिक गुरु और कथावाचक मोरारी बापू ने दिया है. मुरारी बापू ने करीब 11.3 करोड़ रुपये का दान दिया है. इसके अलावा, अमेरिका, कनाडा और यूनाइटेड किंगडम में स्थित उनके अनुयायियों ने सामूहिक रूप से अलग से 8 करोड़ रुपये का दान दिया है. इसके बाद दूसरे नंबर पर गुजरात के हीरा कारोबारी गोविंद भाई ढोलकिया हैं. इन्होंने राम मंदिर के निर्माण के लिए 11 करोड रुपये दान किए हैं. गोविंद भाई ढोल किया जानेमन कंपनी में श्री रामकृष्ण ने एक्सपर्ट्स के मालिक हैं. जानकारी के मुताबिक अब तक श्रीराम मंदिर के समर्पण निधि वाले अकाउंट में ही अब तक 3200 करोड़ रुपए आ चुके हैं.

कौन है बापू मोरारी?
मुरारी बापू राम चरित मानस के एक प्रसिद्ध व्याख्याता हैं और दुनिया भर में 50 सालों से ज्यादा समय से राम कथाओं का पाठ कर रहे हैं. उनकी कथा का मुख्य उद्देश्य लोगों में शांति, सत्य और प्रेम-करुणा का संदेश फैलाना है.

कब और कहां हुआ था जन्म?
बापू का जन्म 1946 में गुजरात के भावनगर जिले के महुवा के निकट गांव में हुआ था. वह आज भी अपने परिवार के साथ वहीं रहते हैं. वह वैष्णव बावा साधु निम्बार्क वंश से संबंध रखते हैं. उन्होंने अपने बचपन का ज्यादा समय अपने दादा और गुरु, त्रिभोवनदास दादा और दादी अमृत मां के साथ बिताया है. उनकी दादी घंटों तक उन्हें लोककथाएं सुनाती थीं. उनकी वेबसाइट के अनुसार, मोरारी बापू ने 12 साल की उम्र में संपूर्ण राम चरित मानस को याद कर लिया था. उन्होंने 14 साल की उम्र में राम कथा का पाठ करना शुरू कर दिया था. उनकी वेबसाइट के अनुसार, मोरारी वापू वैष्णव बावा साधु निम्बार्क वंश से आते हैं. मोरारी बापू की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक भी उनकी कथा सुन चुके हैं.

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