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Naugachia: कदवा में गरूडो़ पर लगातार मंडरा रहा खतरा, गरूड़ संरक्षण के नाम पर सरकारी पैसे की हो रही बंदरबांट !

रिपोर्ट – मनीष कुमार मौर्या, नवगछिया

NAUGACHIA: विलुप्तप्राय पक्षी सह भगवान विष्णु के वाहक माने जाने वाले गरुड़ की प्रजजन स्थली के रूप में विश्व विख्यात कदवा दियारा में, इन दिनों लगातार गरूड़ के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। जहां 2018-19 में घोंसले की संख्या 150 थे वहीं आज 2024 में घटकर 114 हो गए हैं। देश भर में विलुप्तप्राय पक्षी गरूड़ के प्रजनन स्थल के रूप में विख्यात कदवा दियारा का तीसरे स्थान पर है। खैरपुर कदवा पंचायत के आश्रम टोला में गरूड़ गार्जियन अरुण यादव के बासा समीप दो पेड़ों पर गरूड़ घोंसले बनाएं हुए हैं। जहां गिर कर शनिवार को एक ग्रेटर गरूड़ की मौत हो गई। जिसका पोस्टमार्टम डॉ संजीव सर करते। ले, वह अलका में रहने कारण कारण उस गरूड़ का पोस्टमार्टम नहीं किए हैं। स्थानीय गरूड़ एक्सपर्ट की मानें तो वहीं कदवा में तीन फरवरी को भी तीन मृतक गरूडों की मौत होने पर पोस्टमार्टम कर दी गई है। जिसमें दो के अंदर हवाई चप्पल की फीता और के के पेट में सिर्फ गोबर मिलने की पुष्टि चिकित्सक ने कर दी है। लोग बता रहे हैं पेड़ के नीचे जाल लगाया जाता तो शायद गुरूड़़ की जान बच जाती। स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि हमलोगों ने कई बार वन विभाग के कर्मियों को इसकी जानकारी भी दिया। लेकिन, फिर भी इसे अनदेखी कर दिया गया।

मालूम हो कि कदवा दियारा क्षेत्र में इन दिनों लगातार कई गरुड़ की मौत भी हो चुकी है। पेड़ पर से गिरकर कई गरुड़ घायल हो भी हो गए हैं तो, लेकिन वहां पर वन विभाग की ओर से गरुड़ के गिरने से बचाव के लिए जाल नहीं लगाया गया है। सिर्फ कुछ ही जगहों पर जाल लगाकर खानापूर्ति कर दी गई है। और सरकारी पैसे को संबोधित लोग आपस में बंदरबांट कर रहे हैं। मालूम हो कि बिहार सरकार की ओर से गरुड़ों की देखरेख के लिए प्रतिवर्ष करीब 40 लाख रुपये का आवंटन किया जाता है। स्थानीय लोगों ने सवाल खड़ा कर दिए हैं कि आखिर जब गरूड़ के मुख्य प्रजनन स्थली पर यदि नेट (जाल) गरूड़ के घोंसले वाले पेड़ के नीचे नहीं लगया गया तो संबंधित अधिकारियों तब कहां लगाए? कुछ लोगों ने अपना नाम बताने से इंकार करते हुए बताया कि- गरूड़ संरक्षण के नाम पर मिलने वाले सारे राशी को मुख्य अधिकारी 3.5 लाख रुपए पैकेज के हिसाब से आपस में बंदरबांट कर रहे हैं।

जिससे गरूडो़ का संरक्षण नहीं हो रहा है। सिर्फ खानापूर्ति की ज रही है। वहीं डीएफओ श्वेता कुमारी ने बताया कि पेड़ पर से गिरने से कई गरूड़ की मौत की सूचना मिलने पर कदवा गयी थी और इसकी जांच की हैं। मौत के कारण का पता लगाया जा रहा है। जहां जाल नहीं लगाया गया है, वहां जाल लगवाया जाएगा।

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