नवगछिया: रंगरा प्रखंड के भवानीपुर स्थित काली मंदिर का इतिहास 200 वर्ष पुराना है। यहां दक्षिणेश्वर काली मैया विराजती है जो जागृत हैं। कहते हैं कि सच्चे मन से जो भक्त यहां पूजा करते हैं और मन्नत मांगते है मैया उनकी मुराद अवश्य पूरा करती है। यहां की मैया आप रूपी है। ग्रामीण श्री किशोर झा बताते हैं कि 200 वर्ष पूर्व सोनरा बहियार में खेल-खेल में बच्चों ने मिट्टी की काली मां की प्रतिमा बनाकर कुश से बलि दी थी, तो सचमुच मिट्टी की प्रतिमाओं के सामने बलि चढ़ गई। बच्चे डर कर भाग गए। इसके बाद बच्चों के माता-पिता ईश्वर पोद्दार को काली मैया ने स्वप्न दिया की प्रतिमा स्थापित की है तो पूजा पाठ भी करो। उसके बाद उसके घर पर ही काली मां की प्रतिमा बनाकर पूजा पाठ की जाने लगी। 10 वर्ष तक उन्होंने घर पर ही पूजा पाठ की, बाद में ग्रामीणों द्वारा मंदिर निर्माण कर पूजा पाठ की जाने लगी।
कई राज्यों के भक्त आते हैं मन्नत मांगने
भवानीपुर की काली मां के मंदिर में दूर-दूर से भक्त आकर मैया को चढ़ावा चढ़ाते हैं, मन्नत मांगते हैं। यहां पर बकरे की बलि दी जाती है। मेले में काली पूजा कमेटी द्वारा दंगल का आयोजन किया जाता है। बच्चों के मनोरंजन के लिए डिजनीलैंड की तर्ज पर कई तरह के झूले और दुकान लगाए जाते हैं।
वैदिक पद्धति से होती है पूजा
ग्रामीण विश्वास झा ने बताया कि वैदिक पद्धति से पूजा होती है। एक और दो नवंबर को मेले का आयोजन किया जाएगा। एक और दो को ही मैया को बलि भी दी जाएगी।