रिपोर्ट – मनीष कुमार मौर्या , नवगछिया
NAUGACHIA: ढोलबज्जा में नेहरू इन्टरस्तरीय विद्यालय के छात्र-छात्राओं द्वारा शिकायत मिलने पर वहां के मुखिया सच्चिदानंद यादव उर्फ सच्चो व सरपंच सुशांत कुमार ने निरीक्षण किया है. जहां विद्यालय में काफी अनियमितता देखने को मिला है. जहां छात्र दिलखुश कुमार ने बताया कि- मैंने 2020 ई० में साइंस संकाय में नामांकन कराया और परीक्षा फार्म भी भर दिया. लेकिन मेरे फार्म में छेड़छाड़ कर आर्ट्स कर दिया गया. मुखिया सच्चिदानंद यादव व सरपंच सुशांत कुमार ने बताया कि- दर्जनों विद्यार्थियों से विद्यालय शुल्क के नाम पर पैसा लिया जाता है. जिसके रसीद पर हस्ताक्षर व विद्यालय की मोहर नहीं है. रसीद संजय कुमार लिपिक के द्वारा काटे जाने की बात कही गई. जब संजय व शिक्षक गोपाल सिंह से पूछा गया तो वह संतोषजनक जबाव नहीं दे सके और बोले कि रसीद काटकर पैसा हम रखते हैं. अवैध पैसा वसूली का आरोप पूर्व प्रधानाचार्य रामदेव सिंह पर लगा दिया गया.
जब विद्यार्थी अवैध पैसा वसूली करने से मना करते हैं तो उसके भविष्य बर्बाद करने की धमकी दे दी जाती है. बताया जा रहा है कि- विद्यालय में करीब 1200 बच्चे नामांकित है. विद्यालय के साफ-सफाई पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. हर तरफ गंदगी का अंबार लगा हुआ है. वहीं सरपंच बताते हैं कि- सभी शिक्षकों ने विद्यालय को दुधारू गाय बना दिया है. अवैध वसूली कर विद्यालय को बदनाम कर रहे हैं.
प्रयोगशाला में सामान नहीं है ना हीं शौचालय की व्यवस्था ठीक है. मुखिया ने कहा सभी शिक्षकों ने मिलीभगत कर अवैध वसूली करता है. बीडीओ जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करेंगे. विद्यार्थियों आरोप लगा रहे थे कि बाहरी छात्रों से मोटी रकम लेकर साइंस की सीट बेच दी जाती है. हम लोगों को साइंस की जगह आर्ट्स कर दिया जाता है. प्रधानाचार्य सईदूर रहमान ने बताया कि- एक छात्रा लूरी दास टोला के विवेक कुमार की पत्नी नंदनी कुमारी है, जिसके रजिस्ट्रेशन छूट गई है. कारण यह है कि नंदनी ने शुल्क जमा कर दी लेकिन फिर स्कूल नहीं आई. शुल्क जो है उसकी रिपोर्ट ₹1210 करके विभाग को भेजा जाता है. पूर्व प्रधानाचार्य रामदेव सिंह जब से सस्पेंड हुआ है. तब से वित्त प्रभार किसी को नहीं मिलने से खाता का संधारण नहीं हो सका है. इसलिए पैसे को तत्काल लिपिक के माध्यम से प्रभारी के पास रख विभाग को एक बार में हीं भेज दी जाती है.
खाता का जो सक्षम पदाधिकारी होता है, वह खुद आकर इसकी जांच-पड़ताल करते हैं. पहले एडमिशन हम लोग कर देते थे. अब सब चीज पोर्टल पर होता है. जिस पर विद्यार्थियों का फोटो भी लगा रहता है. इसलिए जिसका रजिस्ट्रेशन साइंस से हो गया उसे आर्ट्स नहीं किया जा सकता है. पहले हीं गलत रजिस्ट्रेशन कराया गया होगा. यहां प्रयोगशाला का भवन नहीं है. एक छोटी-सी कमरे में संचालित है. जहां कुछ सामान है भी और साल भर बाद एक्सपायरी हो जाने पर उसे नष्ट कर फेंक दिया जाता है.