रिपोर्ट – मनीष कुमार मौर्या, नवगछिया
NAUGACHIA: विश्व आद्रता दिवस के अवसर पर शुक्रवार को नवगछिया, गोपालपुर एवं इस्माईलपुर प्रखंड के विभिन्न नदी तालाब एवं जिलों का निरीक्षण किया गया। इस मौके पर गंगा प्रसाद झील तथा डिमाहा वेटलैंड में एशिया वाटर बर्ड काउंट 2024 की शुरुआत हुई। एडब्लूसी 24 के जिला कोडीनेटर डॉ डीएन चौधरी तथा उनके दल के सदस्य, सुमित कुमार, जय कुमार, विजय भारत, आनंद कुमार तथा पिन्टु कुमार डब्ल्यूआईआई के क्षेत्र सहायक कोऑर्डिनेटर राहुल कुमार राज ने गंगा प्रसाद झील से स्थानीय तथा प्रवासी पक्षियों की गणना शुरू की। इस अवसर पर भागलपुर के डीएफओ स्वेता कुमारी, नवगछिया के रेंज ओफिसर पीएन सिह यादव तथा वन विभाग के कुछ कर्मचारी भी उपस्थित होकर इस अभियान को सफल बनाया।
गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष प्रवासी पक्षियों की उपस्थिति कम पाई गई। कम वर्षा के कारण जलाशयों में जल की कमी तथा जलवायु परिवर्तन के कारण, प्रवासी पक्षियों की संख्या में कमी देखी जा रही है। गणना के दौरान प्रवासी पक्षियों में कामन टील, कामन पोचार्ड, ओस्परे देखा गया। स्थानीय पक्षियों में, स्नेक बर्ड, काला एवं सफेद बजा, परपल हेरोन, ग्रे हेरोन, घोंघील, पनकओ की अधिक उपस्थित ने दल का उत्साह बढ़ाया। उन्होंने बताया कि तीन फरवरी को जगतपुर झील तथा चार फरवरी को बांका के ओढ़नी डैम में पक्षियों की गणना करने की टीम जाएगी। इस आद्रता दिवस को लेकर के भागलपुर की डीएफओ श्वेता कुमारी ने बताया कि काफी खुशी की बात है कि इस इलाके में पक्षियों की सुरक्षा के लिए कई तरह के समिति के लोग जागरूक हैं।
यहां पर जिस तरह से डब्ल्यू ई से जुड़े लोग पक्षियों के साथ-साथ जलीय जीव की सुरक्षा कर रहे हैं। पशु पक्षियों पर होने वाले नुकसान को भी बचते हैं। यह काफी सराहनीय है। इस अवसर पर उन्होंने मौके पर मौजूद टीम के सदस्यों को विश्व आद्रता दिवस पर बधाई देते हुए अधिक से अधिक पक्षियों की गणना करने के लिए जागरूक किया। क्या है विश्व आद्रता दिवस शुक्रवार 2 फरवरी 2024 को पूरी दुनिया में ”विश्व आर्द्रभूमि दिवस” यानि ”वर्ल्ड वेटलैंड डे” मनाया जा रहा है। इस साल की थीम वेटलैंड्स एंड ह्यूमन वेलबीइंग है। अर्थात आद्राभूमि और मानव कल्याण है। यह आर्द्रभूमियों और शारीरिक मानसिक और पर्यावरणीय स्वास्थ्य सहित मानव कल्याण के विभिन्न पहलुओं के बीच अंतर्संबंध पर जोर देता है। पहली बार यह 1997 में मनाया गया। वेटलैंड यानि नदी, तालाब, पोखर और ऐसे जल क्षेत्र जहां हमेशा या साल के कई महीने जल भरा रहता है।
जैव विविधता के लिए आद्रभूमि बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं। यह जल संरक्षण में भी भूमिका निभाते हैं। वेटलैंड्स पानी को भी प्रदूषित होने से बचाते हैं। दुनियाभर के वेटलैंड्स में पक्षियों और जानवरों की दुर्लभ प्रजातियां पाई जाती हैं। वेटलैंड्स एक तरह के प्राकृतिक स्पंज का काम करते हैं। बारिश और बाढ़ के समय अतिरिक्त पानी सोखने का काम करते हैं। वहीं शुष्क महीनों में वेटलैंड्स नदियों के प्रवाह को भी नियंत्रित करते हैं। इनके लुप्त होने से पारिस्थितिकी तंत्र से जुड़ी चीज़ों को भारी नुकसान हो सकता है। इसलिए इसका संरक्षण बहुत जरूरी है। इन्ही सब बातों की चर्चा करने हमलोग पहुंच गए नवगछिया स्थित जगतपुर झील। वहां हमलोगों ने स्थानीय समुदायों से बात की तथा आद्रभूमि के महत्वों को विस्तार पूर्वक बताया। वहां के लोगों ने भी अपनी बातें साझा की। साथ ही साथ हमलोग ने स्थानीय समुदायों के साथ पक्षी अवलोकन भी किया।
उन्होंने पक्षियों के स्थानीय नामों का भी जिक्र किया। इस प्रकार के जागरूकता अभियानों के लगातार प्रयासों से ही संरक्षण को बल मिलता हैं। नवगछिया के आधार भूमि को देखकर भागलपुर डीएफओ ने बताया कि यहां पर काफी पोटेंशियल इलाका है। इस इलाके में पशुओं का संरक्षण एवं सुरक्षा संभव है। इसके लिए और कार्य क्या जाना है। पक्षी गणना के उपरांत यहां पर विशेष तौर पर ध्यान एवं निगरानी रखने की जरूरत है, जिसके लिए विशेष टीम गठन भी किया जाएगा।