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कदवा में, भाग्य विधाता गीता पाठशाला का उद्घाटन कर ओम शांति कार्यक्रम का आयोजन,परमात्मा शिव के स्मरण से मिलती है सर्व दुखों से छुटकारा, बुराई अर्पण करने से दूर होते हैं मन के विकार : ब्रम्हाकुमारी रंजू दीदी

रिपोर्ट – मनीष कुमार मौर्या, नवगछिया

NAUGACHIA: रविवार को प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय मधेपुरा के तत्वधान में, ब्रह्मकुमारी पाठशाला, कदवा के मिलन चौक समीप बोड़वा टोला में डॉ ध्रुव कुमार सिंह के निज आवास पर नव निर्मित भाग्य विधाता गीता पाठशाला भवन का उदघाटन किया गया. वहीं 87वीं त्रिमूर्ति शिव जयंती महोत्सव के उपलक्ष्य में शिव झंडोत्तोलन एवं भव्य प्रवचन कार्यक्रम का आयोजन किया गया.
उक्त कार्यक्रम का उद्घाटन विधिवत रूप से ब्रह्माकुमारी संस्थान के सीमावर्ती क्षेत्र प्रभारी रंजू दीदी, आलमनगर सेवा केंद्र प्रभारी शोभा दीदी, नवगछिया प्रखंड प्रमुख गायत्री देवी, प्रो विष्णु देव यादव, डा ध्रुव कुमार सिंह, बिनोद भाई, सुबोध भाई, मीरा देवी, सरिता देवी, शशि रंजन भाई, प्रभाष कुमार, सरिता देवी व ब्रह्माकुमार किशोर भाई के साथ अन्य गणमान्य लोगों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया.
ब्रह्माकुमारी संस्थान के सीमावर्ती एवं मधेपुरा क्षेत्रिय प्रभारी राजयोगिनी रंजू दीदी जी ने अपने संबोधन में कहा कि- यह भाग्य विधाता भवन मनुष्यों को अज्ञान अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाले भवन डॉ ध्रुव कुमार सिंह और सरिता देवी के द्वारा निर्मित है. आज के मनुष्य की अपनी बुराइयों को अर्पण करने का प्रयास करना चाहिए. जिससे जीवन में सुख ,शांति का संचार हो सके. साथ हीं उन्होंने कहा- हम सभी आत्माओं का पिता परमपिता शिव है. इसलिए उस पिता परमात्मा में अपना मन लगाकर रखना चाहिए. अपने मनोविकारों को मुग्ध करने के लिए ईश्वर ज्ञान को जीवन में अपनाना चाहिए. उन्होंने कहा कि शिव जयंती आत्मा और परमात्मा के मिलन का पर्व है. इसलिए इस पर्व को उत्साह पूर्वक मनाना चाहिए.

राजयोगी रंजू दीदी जी ने बताया कि- आध्यात्मिक ज्ञान की कमी के कारण वर्तमान समय में मानव के अंदर काम ,क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, ईर्ष्या, नफरत आदि राक्षसी प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है. जिसके कारण समाज में दिन-प्रतिदिन अपराध बढ़ते ही जा रहे हैं. उन्होंने बताया -अगर हमने अपनी भारतीय पुरानी सभ्यता, संस्कार परंपराएं, पूर्व जनों की संस्कृति सत्संग के माध्यम से नहीं फैलाई तो, इस समाज में चलना, रहना, बैठना, उठना जीना बड़ा ही मुश्किल महसूस हो सकता है. उन्होंने जीवन में सत्संग का महत्व बताते हुए कहा कि- सत्संग के द्वारा प्राप्त शक्तियां, सद्गुण, विवेक ही हमारी असली संपत्ति है. जिससे हम अपने कर्मों में सुधार ला सकते हैं.

कार्यक्रम के अतिथि प्रो विष्णु देव यादव जी ने अपने उदवोधन देते हुए कहा कि- सत्संग से प्राप्त ज्ञान द्वारा ही हम अपने जीवन को सकारात्मक बनाकर तनाव मुक्ति जीवन जी सकते हैं. उन्होंने बताया कि वर्तमान की इस तनावपूर्ण युग में स्वयं निराकार परमपिता परमात्मा इस धरती पर अवतरित हो चुके हैं. यह ब्रह्माकुमारियों का कहना है. इसलिए हम सभी को सहज ज्ञान और राजयोग के अभ्यास द्वारा और सकारात्मक विचार की कला द्वारा तनाव मुक्ति रहने के कला सीखना चाहिए. उन्होंने बताया कि राजयोग का अभ्यास द्वारा ही हम अपने कर्म इंद्रियों पर काबू पा सकते हैं.

आलमनगर सेवा केंद्र प्रभारी राजयोगिनी शोभा दीदी जी ने सत्संग में पधारे ईश्वरीय प्रेमी भाई /बहनों को स्वागत संबोधित करते हुए कहा कि- भौतिक युग में स्थाई सुख और शांति के लिए सत्संग बहुत आवश्यक है. सत्संग के माध्यम से हमें इस संसार में किस तरह से जीना है, क्या बात करनी है, कहनी है. आपस में कैसे व्यवहार करना है इसका ज्ञान प्राप्त होता है. उन्होंने बताया सत्संग से प्राप्त दिव्य ज्ञान के द्वारा हम अपने व्यवहार में निखार ला कर एक सद्गुणी इंसान बन सकते हैं.

उक्त कार्यक्रम का संचालन ब्रह्माकुमार किशोर भाई जी कर रहे थे. मौके पर प्रखड प्रमुख गायत्री देवी, डॉ ध्रुव भाईजी, सरिता देवी, ब्रह्माकुमारी शोभा दीदी, दुर्गा बहन ,नीलम बहन,अर्चना बहन , बिनोद भाईजी,प्रभास भाई, सुबोध भाईजी, प्रो
विष्णु देव यादव, सरिता देवी , मीरा दीदी ,ब्रह्माकुमार किशोर भाई जी, बबीता देवी, शशिरंजन भाई,मदन भाई वअशोक भाई के साथ सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद थे. जहां सुनो रे भाई! शिव की वाणी, चौरासी जन्म की कहानी एवं रे मूरख बंदे, क्या है रे जग में तेरा जैसे भजनों पर श्रद्धालु भक्त भावविभोर होकर ताली बजाते हुए अपने आप को झुमने से रोक नहीं पा रहे थे.

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