रिपोर्ट – आकाश कुमार
DESK: पिछले हफ्ते ही दक्षिणी दिल्ली में एक 22 साल की लड़की पर एक लड़के ने तब हमला किया, जब वह कैब बुक कर कहीं जा रही थी। लड़का जबरदस्ती कैब के अंदर घुस गया और उसने लड़की पर चाकू से हमला किया। लड़की की हालत गंभीर है और उसका दिल्ली के एम्स अस्पताल में इलाज चल रहा है। इस घटना का जिक्र हमने इसलिए किया क्योंकि यह मामला स्टॉकिंग/Stalking से जुड़ा है यानी लड़की का लगातार पीछा करने का मामला है। इस तरह की घटनाएं पिछले कुछ सालों से दिल्ली सहित अन्य शहरों में बढ़ती जा रही है।
देश में इस तरह के बढ़ते मामले यह सोचने के लिए विवश कर देते हैं कि हमारा समाज किस दिशा में जा रहा है। जहां एक तरफ हम चांद पर जाने की बात करते हैं वहीं, समाज का पतन हो रहा है और पुरुषों के एक वर्ग की मानसिकता बदल ही नहीं रही है। वह आज भी महिलाओं को एक वस्तु के रूप में ही देखते हैं और उसे सिर्फ हासिल करना चाहते हैं किसी भी कीमत पर.. जबकि हमारे देश में महिला उत्पीड़न को लेकर कई नियम कड़े हुए हैं। पिछले कुछ वर्षों में खासकर निर्भया कांड के बाद कई नियमों को कड़ा किया गया। भारतीय दंड संहिता 354 डी के अंतर्गत अगर कोई व्यक्ति स्त्री की अनइच्छा या उसके इंकार के बाद पीछा करता है तो पहली बार पीछा करने पर कम से कम 1 साल की सज़ा और अधिकतम 3 साल की सजा और ज़ुर्माने का प्रावधान है। दूसरी बार पीछा करने पर अधिकतम 5 साल की सजा और ज़ुर्माने का प्रावधान है, कुछ राज्यों में 7 साल तक की सजा का भी प्रावधान है।
स्टॉकिंग को लेकर इतने सारे कानून और कोशिशें होने के बावजूद भी स्टॉकिंग जैसे अपराध रुक नहीं रहे हैं, इन पर लगाम नहीं लग पा रही है। समाज को स्टॉकिंग को लेकर सख्त होना चाहिए। सामाजिक मानसिकता भी लोगों की बदलनी होगी क्योंकि लोग पीछा करने को हल्के में लेते हैं और इसे नजरअंदाज करते हैं और सबसे बड़ी बात लड़कियों पर ही दोषारोपण करते हैं।
हमें यह समझना होगा कि स्टॉकिंग, महिलाओं के खिलाफ अपराध का पहला चरण है। स्टॉकिंग के बाद ही हिनियस क्राइम यानी एक तरह से बर्बरता का रास्ता खुल जाता है । शुरुआत में स्टॉकिंग जहां हल्की-फुल्की छेड़छाड़ लगती है लेकिन इसे गंभीर जुर्म बनते देर नहीं लगती।पुलिस भी लड़कियों के साथ हो रही स्टॉकिंग को नजरअंदाज करती है। हम देखते हैं कि कई बार अगर कोई पीछा कर रहा होता है, पुलिस की वैन वहां खड़ी रहती है लेकिन वह कोई एक्शन नहीं लेते, पुलिस को भी महिलाओं और बच्चियों के प्रति सेंसेटाइज करने की जरूरत है। यह समझाने की आवश्यकता है कि जिस तरह से महिलाएं अलग-अलग पब्लिक प्लेस पर जाती हैं उसी तरह से पुलिस स्टेशन में भी जा सकती हैं और अपनी बात अच्छे से कह सकती हैं। अक्सर होता यह है कि पुलिस वाले भी लड़कियों को ही दोषी मानते हैं और उनसे कई तरह के सवाल पूछने लगते हैं अगर वह किसी पुरुष/लड़के की शिकायत करती हैं तो वह उनसे पूछने लगते हैं कि आप क्यों गयीं थीं वहाँ? क्या पहन कर गई थीं ? क्या काम था? ना जाने इस तरह के कितने ही अटपटे सवाल.. पुलिस को भी समझना होगा कि इस तरह की घटनाओं को हल्के में ना लेकर उस पर कार्रवाई करे और महिलाओ में जो पुलिस को लेकर डर है वो खत्म हो।
लड़कियों को इस तरह की स्टॉकिंग को कभी नहीं नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए, चाहे वह सोशल मीडिया पर हो या फिर हर रोज उनके दफ्तर, स्कूल, कॉलेज जाते समय हो, अगर उन्हें लगता है कि कोई लगातार उनका पीछा कर रहा है, उन्हें परेशान कर रहा है,अलग-अलग तरह के प्रस्ताव दे रहा है और आप उन्हें पसंद नहीं करती हैं तो बेफिक्र होकर अपने माता-पिता या भाई -बहनों को जरूर बताएं। घर पर कोई बात ना छुपायें, अक्सर लड़कियों के माता-पिता भी लड़कियों पर ही आरोप लगाते हैं या फिर अपने स्तर पर ही चीजों को सुलझाने लग जाते हैं या लड़कियों को घर पर बिठा लेते हैं। उनका स्कूल – कॉलेज या फिर नौकरी छुड़वा देते हैं, माता-पिता को चाहिए कि समाज की ज्यादा चिंता न करें और अपनी बेटियों को घर पर ना बिठायें। स्टॉकिंग करने वालों के खिलाफ पुलिस में कंप्लेंट करें, अपनी बेटियों और घर की महिलाओं पर संदेह ना करें,महिला आयोग के पूर्व सदस्यों और कुछ सीनियर वकीलों का कहना है कि महिलाओं के साथ क्राइम ना हो, इसके लिए आईपीसी में कुछ भी नहीं हो रहा है, इस समय जरूरत है कि आईपीसी में मौजूद कानून को और कड़ा करने की।
मुंबई में भी इसी तरह की एक घटना हुई थी जिसमें एक फिजियोथेरेपिस्ट के साथ स्टॉकिंग का मामला सामने आया, स्टॉकिंग करने वाले लड़के ने ज़बरन घर में घुसकर लड़की के साथ दुष्कर्म किया और उसकी बर्बरतापूर्ण हत्या कर दी थी।
उस घटना के बाद भी स्टॉकिंग करने वालों के खिलाफ कड़े नियम बनाने की बात उठी लेकिन ऐसा नहीं हुआ,जिन राजनेताओं और सांसदों पर कड़े नियम बनाने की जिम्मेदारी है वह भी स्टॉकिंग को कोई अपराध नहीं मानते। संसद में निर्भया केस के बाद जब स्टॉकिंग को लेकर भी कड़े नियम बनाने की बहस हो रही थी तो उसी दौरान कुछ सांसदों ने कहा था कि अगर स्टॉकिंग को गुनाह बना देंगे तो कॉलेज रोमांस खत्म हो जाएगा, तब इन सांसदों ने मिलकर कानून को बेलेबल/ज़मानती ऑफेंस बना दिया।
तब जब तक नहीं रूकेंगे जब तक ये नॉन बेलेबल/गैरज़मानती अपराध ना बना दिया जाये क्योंकि स्टॉकिंग के मामले ही आगे बढ़कर एसिड अटैक, रेप, किडनैपिंग जैसे गंभीर अपराधों में परिवर्तित हो जाते हैं, जरूरत है समाज को जागरूक होने की और सभी को इस तरह के स्टॉकिंग करने वालों के प्रति सावधान रहने की।