DESK : इन दिनों पूरे देश में भीषण गर्मी का कहर जारी है । कहीं तापमान 48 – 49 डिग्री पहुंच रहा है तो कहीं 50 डिग्री को भी पार कर गया है। मई के दूसरे हफ्ते से ही गर्मी का सितम बदस्तूर जारी है। देश के कई हिस्सों में लोगों की मौत की भी ख़बरें सामने आ रही हैं। ऐसे में सबके दिमाग में सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर इंसान का शरीर अधिक से अधिक कितना तापमान झेल सकता है।
एक्सपर्ट यह समझने के लिए ह्यूमिडिटी और ‘वेट बल्ब’ टेम्परेचर का उल्लेख करते हैं कि इंसान का शरीर कितनी गर्मी सहन कर सकता है. वेट बल्ब टेम्परेचर एक मौसम संबंधी शब्द है, जिसका उपयोग सबसे कम तापमान का वर्णन करने के लिए किया जाता है जिसे निरंतर दबाव में हवा में पानी को भाप में बदल के प्राप्त किया जा सकता है.यह तापमान ह्यूमिडिटी को मापने और यह समझने में मदद करता है कि हवा में कितना पानी भाप में बदल सकता है जो खेती और मौसम के पैटर्न जैसी चीजों को प्रभावित कर सकता है.
एक्सपर्ट के अनुसार, इंसान का शरीर सामान्य रूप से 37 डिग्री सेल्सियस तापमान पर काम करता है. जब तापमान 38 डिग्री सेल्सियस से ऊपर जाता है, तो शरीर को ठंडा रखने के लिए पसीना आने लगता है. 40 डिग्री सेल्सियस के आसपास, शरीर को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है और थकान, सिरदर्द और चक्कर आने जैसी समस्याएं हो सकती हैं.41 डिग्री सेल्सियस से ऊपर तापमान खतरनाक होता है. इस तापमान पर शरीर ठंडा करने के लिए पर्याप्त पसीना नहीं आ पाता है, जिससे हीट स्ट्रोक जैसी गंभीर स्थिति हो सकती है. हीट स्ट्रोक में शरीर का तापमान तेजी से बढ़ जाता है, जिससे बेहोशी, दौरे और यहां तक कि मौत भी हो सकती है.
गर्मी से जुड़ी बीमारियों की बात करें तो एम्स (दिल्ली) के मेडिसिन विभाग में एडिशनल प्रोफेसर डॉ. नीरज निश्चल का कहना है कि अगर हम गर्मी से जुड़ी बीमारियों का ध्यान नहीं रखते हैं, तो परेशानियों का सिलसिला शुरू हो जाता है । धूप से जलन, मांसपेशियों में ऐंठन यानी दर्द, चक्कर आना, थकान आदि ये शुरुआती चेतावनी के संकेत हैं. अगर आप इनका ध्यान नहीं रखते हैं, तो शरीर में पानी की कमी हो जाने की वजह से ब्लड प्रेशर कम होने लगता है. जब ये नापा जा सके, तो समझ लीजिए कि मरीज को हीट स्ट्रोक हो गया है.
डॉ. नीरज आगे कहते हैं कि गर्मी से जुड़ी समस्याओं के शुरुआती लक्षणों को पहचानना बहुत जरूरी है. शुरुआत में अत्यधिक पसीना आना, थकान, चक्कर आना शामिल हो सकता है. इस स्थिति में ब्लड प्रेशर में बदलाव के कारण बेहोशी भी आ सकती है. ये चेतावनी के संकेत हैं. जिन लोगों को पहले से कोई बीमारी है और जो लोग बाहर ज्यादा काम करते हैं, उन्हें ज्यादा खतरा होता है. अगर वो खुद को सही से हाइड्रेट नहीं रखते हैं, तो उन्हें ये सारी समस्याएं हो सकती हैं.
डॉ. नीरज ये भी बताते हैं कि कोल्ड ड्रिंक सेहत के लिए अच्छी नहीं होती है, खासकर लू के समय. जब आप कोल्ड ड्रिंक पीते हैं तो आपकी प्यास तो थोड़ी देर के लिए चली जाती है लेकिन ये इतनी ज्यादा मीठी होती है कि ये आपके शरीर को और डिहाइड्रेट कर देती है. यह सेहत के लिए अच्छी नहीं है और लू के समय हाइड्रेशन के लिए कोल्ड ड्रिंक से बचना ही चाहिए. सबसे अच्छा ड्रिंक पानी है, इसके अलावा आप शिकंजी, लस्सी, छाछ जैसी चीजों का सेवन कर सकते हैं. ये हेल्दी ड्रिंक आपको हाइड्रेट रखेंगे. अगर आप बहुत पसीना बहा रहे हैं, तो ORS घोल आदि लेना भी फायदेमंद हो सकता है.