LOKSABHA ELECTION 2024: देश में शनिवार को 8 राज्यों के 57 लोकसभा सीटों पर आखिरी चरण का मतदान हो रहा है। बिहार के 8 लोकसभा सीटों पर भी सुबह 7 बजे से मतदान शुरु हो गया है। बिहार में नालंदा, आरा, बक्सर, काराकाट, पटना साहिब, पाटलिपुत्र, जहानाबाद और सासाराम में वोटिंग चल रही है। लेकिन पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र के पालीगंज विधानसभा क्षेत्र के बूथ संख्या 188 घूरना बिगहा गांव से एक बड़ी खबर सामने आई है। जहां गांव वालों ने “रोड नहीं तो वोट नहीं “के नारे के साथ लोकसभा चुनाव में वोट न डालने का फैसला किया और मतदान का पूर्ण बहिष्कार किया है। जानकारी के अनुसार पालीगंज विधानसभा क्षेत्र के घूरना बिगहा गांव की आबादी लगभग 1000 है. यहां बूथ संख्या 188 पर गांव वालों ने रोड नहीं तो वोट नहीं नारे के साथ लोकसभा चुनाव का बहिष्कार कर दिया है। आजादी के बाद जब आज देश रोज नई ऊंचाइयों पर विकास के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। लगभग सभी गांव में बिजली सड़क पानी जैसे बुनियादी सुविधाएं पहुंच चुकी है , ऐसे में पालीगंज विधानसभा क्षेत्र में घूरना बिगहा एक ऐसा गांव है जहां आजादी के 77 वर्षों बीत जाने के बावजूद भी अब तक सड़क नहीं बन सकी है।
गांव वालों का कहना है कि हम लोगों को लगातार उपेक्षित किया जाता रहा है . यह गांव मूल रूप से पिछड़े पिछड़ों का गांव है। जहां पर यादव समुदाय के साथ-साथ रविदास जाति के बड़ी संख्या पर मतदाता रहते हैं। साथ ही ठाकुर , तांती समेत कई अन्य दूसरे जातियां भी रहती हैं . उन्हें आज तक विकास की बुनियादी सुविधाओं में से एक सड़क से दूर रखा गया है। ग्रामीण उमेश यादव, महेंद्र यादव, रिंकू देवी, राजू दास , कुसुम देवी , सुरेन्द्र यादव, नीरज यादव, भगवान दास समेत दर्जनों ग्रामीणों ने बताया कि हम लोग के यहां जब भी कोई आकस्मिक स्थिति जैसे बीमारिया या दुर्घटना घटती है तो अस्पताल ले जाने के लिए हजार बार सोचना पड़ता है ।ग्रामीणों का कहना है कि आखिर हम लोगों का क्या कसूर है जो आज तक केंद्र और राज्य सरकारें हमारे गांव में सड़क नहीं बना सकी। आखिर हमलोग को अबतक क्यों उपेक्षित रखा जा रहा है। चाहे सांसद महोदय हों या विधायक महोदय किसी ने भी इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया. न ही किसी ने इसके निदान का प्रयास किया . जिसके कारण आज तक हमारे गांव में सड़क जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं पहुंच सकीं हैं. जो की काफी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है. आज जब देश दुनियां की तीसरी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है, चारो ओर विकास ही विकास हो रहा है तब बिहार के कुछ ऐसे गांव आज भी हैं जहां पर सड़क जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं पहुंच सकीं. जो कि काफी दुखद और दुर्भाग्यपर्ण स्थिति कही जा सकती है।
ग्रामीणों का कहना है कि आखिर हम लोगों का क्या कसूर है जो आज तक केंद्र और राज्य सरकारें हमारे गांव में सड़क नहीं बना सकी। आखिर हमलोग को अबतक क्यों उपेक्षित रखा जा रहा है। चाहे सांसद महोदय हों या विधायक महोदय किसी ने भी इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया. न ही किसी ने इसके निदान का प्रयास किया . जिसके कारण आज तक हमारे गांव में सड़क जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं पहुंच सकीं हैं. जो की काफी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है. आज जब देश दुनियां की तीसरी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है, चारो ओर विकास ही विकास हो रहा है तब बिहार के कुछ ऐसे गांव आज भी हैं जहां पर सड़क जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं पहुंच सकीं. जो कि काफी दुखद और दुर्भाग्यपर्ण स्थिति कही जा सकती है।