BIHAR: बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी अब हमारे बीच नहीं रहे। बीते 6 माह से कैंसर से जूझ रहे बीजेपी के वरिष्ठ नेता ने सोमवार देर रात दिल्ली के एम्स में अंतिम सांस ली। सुशील मोदी का दबदबा बिहार की राजनीति के अलावा देश की संसद तक था। वह ऐसे नेताओं की सूची में शामिल थे जो देश के चारों सदनों के लिए निर्वाचित हो चुके हैं। चारों सदन से आशय विधानसभा, विधान परिषद, लोकसभा और राज्यसभा से है। सुशील मोदी से पहले पूर्व सीएम लालू यादव और दिवंगत रामविलास पासवान के नाम भी यह उपलब्धि हासिल है। इस बार बीजेपी ने उन्हें राज्यसभा का टिकट नहीं दिया था, उसी समय से ही कई तरह के कयास लगाए जा रहे थे। वो तो 6 अप्रैल को सुशील मोदी ने ट्वीट कर जब बताया कि उन्हें कैंसर है, तब जाकर लोगों को सच्चाई पता चली।
बिहार और देश की राजनीति में रुचि रखने वाले लोग उनके पार्टी की ओर से किनारे किए जाने का जवाब ढूंढ़ ही रहे थे कि तभी सुशील मोदी ने 6 अप्रैल को ऐसा ट्वीट किया कि सबके होश उड़ गए। उन्होंने अपने अंतिम ट्वीट में लिखा कि पिछले 6 माह से कैंसर से संघर्ष कर रहा हूं। अब लगा कि लोगों को बताने का समय आ गया है। लोक सभा चुनाव में कुछ कर नहीं पाऊंगा। PM को सब कुछ बता दिया है। देश, बिहार और पार्टी का सदा आभार और सदैव समर्पित। इतना लिखते ही सुशील मोदी के चाहने वाले दिल्ली से बिहार तक सदमें में चले गए। लोगों को तब पता चला कि उन्हें कैंसर के चलते खराब हो रहे स्वास्थ्य के कारण सक्रिय राजनीति से दूर किया गया है।
एक निजी अखबार से बात करते हुए सुशील मोदी ने कहा था कि मैं पार्टी को मुझ पर विश्वास दिखाने के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं। पिछले 33 वर्षों में, मैं विधानसभा, राज्य विधान परिषद, लोकसभा और राज्यसभा का सदस्य रहा हूं। मुझे तीन बार विपक्ष का नेता, प्रदेश पार्टी अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री बनाया गया है। सुशील मोदी एनडीए सरकार में लंबे समय तक वित्त मंत्रालय संभाला था। बिहार की राजनीति में अपनी अमिट छाप छोड़ने के बाद उन्हें बीजेपी आलाकमान ने 2018 में राज्यसभा सांसद के तौर पर उच्च सदन भेजा था। बीजेपी के एक नेता के अनुसार दिवंगत अरुण जेटली सुशील मोदी के अंतिम गुरु थे। लगभग उसी समय जब भाजपा में वाजपेयी-आडवाणी युग समाप्त हुआ था। एक बार जब जेटली चले गए, तो केंद्रीय पार्टी नेतृत्व में उनका कोई गुरु नहीं था। यही नहीं वह जीएसटी काउंसिल के सदस्य भी रह चुके थे।