रिपोर्ट – सुमित कुमार, भागलपुर
BHAGALPUR: बच्चों को शिक्षित करने के लिए जहां शिक्षण संस्थानों के अध्यापक अभिभावकों से मोटी रकम वसूलते हैं। वहीं, ऐसे कुछ लोग भी हैं जो बिना किसी लालच के बच्चों में ज्ञान बांटने के लिए अपना जीवन समर्पित कर देते हैं।आपने ग्रेजुएट चायवाली और दीदी की रसोई के बारे में जरुर सुना होगा.कित्नु आज हम आपको ग्रेजुएट दीदी की पाठशाला के बारे में बताने जा रहें हैं. दरअसल कहानी की शुरुवात होती हैं 3 मई 2023 को जहाँ भागलपुर भूतनाथ मंदिर में अनायसा बिहारी पूजा करने के लिए आयी थी. पूजा कर जब मंदिर से बाहर निकली तो मंदिर के बाहर प्रसाद लेने के लिए बच्चों की भीड़ जुट गई. इस दौरान पता चला कि यह सारे बच्चे स्लम बस्ती के हैं, सभी बच्चों की घर की आर्थिक स्थिति दयनीय है.जिस कारण से वह स्कूल पढ़ने नहीं जा पाते. जिसके बाद से अनायसा विहारी ने स्लम बस्ती के बच्चों को निशुल्क पढ़ाने का फैसला किया. ग्रेजुएट दीदी अनायसा विहारी की पाठशाला रोजाना शाम के 4 बजे 7 बजे तक भागलपुर यूनिवर्सिटी के समीप भूतनाथ मंदिर परिसर में लगती है. जहां खुले आसमान के स्ट्रीट लाइट के निचे जमीन पर चटाई बिछाकर प्रतिदिन दर्जनों स्लम बस्ती के बच्चें पढ़ते हैं.
अनायसा मूल रूप से बांका जिले के ककबारा गाँव की रहने वाली है. पिता उमेश प्रसाद सिंह व्यपारी हैं. अनायसा भाई के साथ बीते कई सालों से भागलपुर में रह रही हैं. तिलकामांझी भागलपुर यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करने के बाद सिविल सर्विसेस परीक्षा की तैयारी कर रही हैं. और तकरीबन एक महीने से स्लम बसती के बच्चों को शिक्षित करने में जुटी हैं. इतना ही नहीं बच्चों को किताब, कॉपी, पेंसिल, बैग अपने पैसों से खरीद कर दी है. अनायसा के इस निशुल्क शिक्षा से बच्चे ही नहीं स्लम इलाकों के बड़ी लड़कियां जो कि आज तक स्कूल नहीं गई थी वह भी दीदी की पाठशाला में पढ़ने के लिए आने लगी है. वैसे लड़कियां जो आज तक की स्कूल का मुंह तक नहीं देखी थी वह अब डॉक्टर और पुलिस बनना चाहती हैं.
अनायसा ने जब इन बच्चों को पढ़ाने को ठाना तो शुरुआती दौर में बहुत कम बच्चें थे. लेकिन धीरे धीरे आसपास के कई बस्ती से बच्चें पढ़ने के लिए आने लगे. अनायसा स्ट्रीट लाइट के खम्भे से एक छोटा सा बोर्ड लगाकर बच्चों को पढ़ाती हैं. बच्चों के परिजन आपस में चर्चा करने लगे की यह दीदी की पाठशाला है. जहां बच्चों को मुफ्त में पढ़ाया जाता है. इस तरह से स्लम बस्ती में अनायसा विहारी की चर्चा चारों ओर होने लगी. अब परिजन अपने बच्चों को समय से दीदी की पाठशाला में पढ़ने के लिए भेज देते हैं.